Major News Online | Here you Read latest and Updates News of Market | Read Biography, Market Trends and Many More.

दो अफसर और लालू का एक सीक्रेट प्लान… ‘राम रथ’ पर सवार आडवाणी की गिरफ्तारी की रात की कहानी


साल 1990…
अयोध्या आंदोलन तेज हो रहा था…

लालकृष्ण आडवाणी की राम रथ यात्रा जिधर से गुजर रही थी माहौल वहां गरमाता जा रहा था…

बकौल लालू-
संघ परिवार, वीएचपी और भाजपा की योजना के मुताबिक, आडवाणी ने सितंबर, 1990 में सोमनाथ से अपनी राम रथ यात्रा शुरू की. उनकी इस यात्रा के दौरान गुजरात में साम्प्रदायिक तनाव पैदा हुआ. सोमनाथ से रथयात्रा निकलते ही उत्तर प्रदेश और बिहार समेत कई राज्यों में साम्प्रदायिक तनाव फैल गया. अक्टूबर में उनकी रथयात्रा ने मध्य प्रदेश से होकर बिहार के धनबाद (अब झारखंड में) प्रवेश किया, मैंने आडवाणी को गिरफ्तार करने की मंजूरी लेने के लिए प्रधानमंत्री वी. पी. सिंह को फोन किया. लेकिन दोनों ही मौकों पर प्रधानमंत्री खामोश रहे.

शायद वह असमंजस में थे, क्योंकि उनकी सरकार का अस्तित्व भाजपा के समर्थन पर निर्भर था. उसके बाद मैंने धनबाद के डीसी और एसपी को फोन करके आडवाणी को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया. लेकिन दोनों पुलिस अधिकारियों ने यह कहते हुए गिरफ्तारी से इनकार कर दिया कि इससे साम्प्रदायिक तनाव फैल जाएगा. मेरे पास अब कोई उपाय नहीं बचा था इसलिए मैंने उन्हें गिरफ्तार करने की एक योजना बनाई. 9 अक्टूबर को उनकी रथयात्रा समस्तीपुर पहुंचने वाली थी और उसके अगले दिन अयोध्या के लिए प्रस्थान करने वाली थी.

(फोटो क्रेडिटः इंडिया टुडे आर्काइव)

सच कहूं तो किसी ने मुझे इस यात्रा को रोकने या आडवाणी को गिरफ्तार करने के लिए नहीं कहा था. प्रधानमंत्री ने कुछ नहीं कहा. मुफ्ती मोहम्मद सईद ने जो तब केंद्रीय गृह मंत्री थे, मुझे दिल्ली बुलाकर जानकारी ली कि क्या मैंने आडवाणी को रोकने की योजना बनाई है. जब मैंने इस बारे में साफ-साफ कुछ नहीं कहा तो वे कहने लगे- ‘आप इसे अपने ऊपर क्यों लेना चाहते हैं? यात्रा को जारी रहने दीजिए.’

मैंने बेहद सख्त लहजे में उनसे कहा- ‘आप सबको सत्ता का नशा चढ़ गया है.’ हालांकि, इसी समय प्रधानमंत्री आवास पर व्यस्तताएं बढ़ गई थीं. वी. पी. सिंह ने अनेक हिंदू धर्मगुरुओं की अपने यहां बैठक बुलाई और इन लोगों ने उन्हें यही कहा कि यात्रा नहीं रोकी जानी चाहिए. समझौते से संबंधित कई फॉर्मूले भी सामने आए, लेकिन इनमें से किसी पर भी सहमति नहीं बनी. उस बैठक में कोई समाधान नहीं निकला.

मेरे दिमाग में यह बात साफ थी कि आडवाणी की यात्रा अल्पसंख्यक समुदाय और साम्प्रयादिक भाईचारे के लिए सीधा और वास्तविक खतरा थी. सख्त कदम उठाने के बारे में सोच लेने के बाद मैंने राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बेडरूम में ही एक बैठक की. मैंने उन सबसे कहा कि यात्रा रोकनी होगी और आडवाणी और अशोक सिंघल जैसे नेताओं को गिरफ्तार करना पड़ेगा. मेरा इतना कहना था कि कमरे में चुप्पी छा गई. शायद वे भगवान के नाम पर चलने वाली यात्रा के रास्ते में बाधाएं खड़ी करने की बात सुनते ही असहज हो गए थे.

(फोटो क्रेडिटः इंडिया टुडे आर्काइव)

हमारी शुरुआती योजना ये थी कि आडवाणी को सासाराम में गिरफ्तार किया जाए. वरिष्ठ भाजपा नेता को रोकने और ले आने के लिए एक हेलिकॉप्टर वहां भेजा गया. मैंने पायलट को इस बारे में बता दिया. बेडरूम की बैठक में जितने भी अधिकारी थे मैंने योजना के बारे में उन्हें पूरी गोपनीयता बरतने को कहा. इसके बावजूद सूचना लीक हो गई और आडवाणी ने अपना रूट बदल लिया. इसके बाद आडवाणी को धनबाद में रोकने की योजना बनी. लेकिन वहां प्रशासनिक अधिकारियों ने इनकार कर दिया. उनको लगता था कि इससे कानून-व्यवस्था की समस्या खड़ी हो जाएगी.

ऐसे में प्लान ‘बी’ तैयार करना जरूरी था. मैंने एक आईएएस अधिकारी आर. के. सिंह (जो अब आरा से भाजपा के सांसद और केंद्रीय मंत्री हैं) और डीआईजी रैंक के अधिकारी रामेश्वर ओरांव को 1 अणे मार्ग स्थित अपने आवास पर बुलाया तथा उनसे इस बारे में बात की. उसके बाद मैंने राज्य के मुख्य सचिव, गृह सचिव और दूसरे वरिष्ठ अधिकारियों के नाम रात नौ बजे एक विशेष आदेश तैयार किया, जिसमें आर. के. सिंह और ओरांव को समस्तीपुर में आडवाणी को गिरफ्तार करने का अधिकार दिया गया.

(फोटो क्रेडिटः इंडिया टुडे आर्काइव)

विशेष आदेश पर हस्ताक्षर करने के बाद मैंने मुख्य सचिव, गृह सचिव और दूसरे अधिकारियों को मेरे आवास पर रहने के लिए बुलाया और यह सुनिश्चित किया कि उन्हें टेलीफोन की सुविधा न मिले. मैं दूसरी बार अपनी योजना को लीक होने देने के लिए तैयार नहीं था. मैंने आर के सिंह और ओरांव को सीआरपीएफ से एस्कॉर्ट्स लेकर समस्तीपुर के लिए रवाना होने का निर्देश दिया और कहा कि वे 10 अक्टूबर की भोर को ही आडवाणी को वहां गिरफ्तार कर लें. मैंने यह सुनिश्चित किया कि समस्तीपुर के डीएम और एसपी तक को इस बारे में कुछ मालूम नहीं होना चाहिए. मैंने सरकारी पायलट कैप्टन अविनाश को हेलीकॉप्टर समस्तीपुर ले जाने के लिए कहा. सुबह-सुबह आडवाणी को गिरफ्तार करने के पीछे उद्देश्य यह था कि काफी देर तक लोगों को इस बारे में पता नहीं चलेगा और इस बीच उन्हें वहां से दूर ले जाया जा सकेगा.

(फोटो क्रेडिटः इंडिया टुडे आर्काइव)

इतनी गोपनीयता के बावजूद आरएसएस-भाजपा के कुछ लोगों को इसका अनुमान लग गया था कि मैं आडवाणी को गिरफ्तार कर सकता हूं. 9 अक्टूबर की शाम को उन्होंने मुझसे मुलाकात की और पूछा, ‘क्या आडवाणी को गिरफ्तार करने की आपकी कोई योजना है?’, मैंने जानबूझकर चौंकते हुए कहा- ‘हम पागल हैं क्या? हम आडवाणी जी को क्यों गिरफ्तार करेंगे?’ वे लौट गए, शराब पी और सो गए. मैं पूरी रात नहीं सो पाया. मैंने समस्तीपुर के सरकारी गेस्ट हाउस के लैंडलाइन पर फोन किया. तब भोर के चार बज रहे थे. एक रसोइए ने फोन उठाया. मैंने उसे अपनी पहचान छिपाते हुए कहा- मैं आज अखबार का रिपोर्टर बोल रहा हूं. आडवाणी जी क्या कर रहे हैं? उसने कहा- वह सो रहे हैं? मैंने फिर पूछा- ‘वह अकेले हैं या उनके साथ और भी लोग हैं.’ उसने कहा- वह अपने कमरे में अकेले हैं. मैंने उससे कहा कि आडवाणी जी को चाय दीजिए. उसके कुछ मिनट बाद रामेश्वर ओरांव और आर. के. सिंह ने मुझे सूचना दी कि काम हो गया है.

सुबह जब मैं अपने लॉन में बेहद चिंतित होकर इधर-उधर टहल रहा था, तभी मैंने एक हेलीकॉप्टर उड़ते देखा. मुझे लगा कि हमारी योजना फेल हो गई है, क्योंकि हेलीकॉप्टर जिस दिशा से आ रहा था वह समस्तीपुर नहीं लग रहा था. मैंने पायलट से संपर्क किया और पूछा- क्यों अविनाश बाबू, क्या हुआ? उसने कहा कि ईंधन भरने के कारण उसे चक्कर लगाना पड़ा.

(फोटो क्रेडिटः इंडिया टुडे आर्काइव)

आडवाणी को गिरफ्तार करने के बाद आर. के. सिंह और रामेश्वर ओरांव ने उन्हें हेलीकॉप्टर में बिठाया. मेरी योजना आडवाणी को बिहार-बंगाल सीमा के पास दुमका (अब झारखंड में) जिले के मसानजोर के गेस्ट हाउस में नजरबंद रखने की थी. गिरफ्तारी से एक दिन पहले मैंने दुमका के डिप्टी कमिश्नर सुधीर कुमार को फोन करके निर्देश दिया था वह गेस्ट हाउस को चाक चौबंद रखें, क्योंकि अगले दिन मैं विजिट के लिए आ सकता हूं. मैंने उन्हें आडवाणी की गिरफ्तारी की योजना के बारे में नहीं बताया था. जब आडवाणी को गेस्ट हाउस में ले जाया गया ठीक तभी मैंने सुधीर को दोबारा फोन करके गेस्ट हाउस के गेट पर सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था रखने के लिए कहा. चूंकि गिरफ्तारी भोर में हुई थी और सुऱक्षा के पुख्ता इंतजाम थे तो न मीडिया के पास और न किसी समर्थक के पास आडवाणी की गिरफ्तारी की कोई तस्वीर थी. आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद मैंने सभी जिलों के डीएम और एसपी को कानून-व्यवस्था पर अलर्ट किया और कहा कि कहीं भी जमावड़ा न होने दें. मुस्तैदी के कारण बिहार में कोई असर नहीं हुआ.

उनकी गिरफ्तारी के कुछ ही घंटों के बाद मेरे पास मुफ्ती मोहम्मद सईद का फोन आया. उन्होंने राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के बने रहने के हक में मुझसे आडवाणी को रिहा करने का अनुरोध किया. मैंने उनको कहा कि आपको सत्ता का नशा चढ़ गया है. यह कहकर मैंने फोन रख दिया.

गिरफ्तारी के दो दिन बाद मैंने आडवाणी को फोन किया और कहा, ‘मैंने आपको गिरफ्तार किया है. लेकिन गेस्ट हाउस हरियाली से घिरा है, और आसपास हरे-भरे पेड़ और पहाड़ हैं. गेस्ट हाउस के आसपास टहलते हुए आपको आनंद आएगा. अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखिए और अगर कुछ परेशानी हो, तो मुझे फोन कीजिएगा.’

-लालू प्रसाद यादव की आत्मकथा गोपालगंज से रायसीना का एक हिस्सा.



Source link