सेप्टिक टैंक, जहरीली गैस और 4 मौतें… सफाई के दौरान हुआ हादसा, एक दूसरे को बचाने में गई जान – Chandauli four sanitation workers died while cleaning septic tank toxic gas created chaos lcla
उत्तर प्रदेश में चंदौली (Chandauli) के दीनदयाल नगर में सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान बड़ा हादसा हो गया. यहां जहरीली गैस (Toxic gas) से चार लोगों की दर्दनाक मौत हो गई. मृतकों में मकान मालिक का बेटा और तीन सफाई कर्मी शामिल हैं. घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और सेप्टिक टैंक से चारों को जैसे तैसे बाहर निकाला और अस्पताल पहुंचाया. अस्पताल में डॉक्टरों ने चारों को मृत घोषित कर दिया.
दरअसल, मुगलसराय कोतवाली के दीनदयाल नगर स्थित वार्ड नंबर 20 के निवासी भरत जायसवाल के घर में बीती रात सेप्टिक टैंक की सफाई हो रही थी. इसमें तीन सफाई कर्मियों को लगाया गया था. जैसे ही एक सफाई कर्मी सेप्टिक टैंक में उतरा तो वह जहरीली गैस की वजह से बेहोश हो गया.
सफाईकर्मी को बचाने के लिए दूसरा और फिर तीसरा मजदूर नीचे उतर गया, लेकिन सेप्टिक टैंक के अंदर जहरीली गैस से सभी बेहोश हो गए. तीनों मजदूरों के बाद मकान मालिक भरत जायसवाल का बेटा सेप्टिक टैंक में उतर गया, लेकिन वह गैस की चपेट में आ गया और बेहोश हो गया.
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इस घटना के बाद कोहराम मच गया. आनन फानन में लोगों ने पुलिस को सूचना दी. मौके पर पहुंची पुलिस ने सेप्टिक टैंक से चारों लोगों को बाहर निकलवाया और अस्पताल भिजवाया, लेकिन तब तक चारों की मौत हो चुकी थी. पुलिस ने चारों शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया है.
सेप्टिक टैंक की घटना में इन लोगों की गई जान
मुगलसराय कोतवाली पुलिस ने कहा कि भरतलाल जायसवाल के घर में सीवर की सफाई करने 35 वर्षीय विनोद रावत, 30 वर्षीय लोहा पुत्र अथामी, 40 वर्षीय कुंदन पुत्र दया की जहरीली गैस से तबीयत खराब हो गई. इनको अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया. विनोद रावत को ट्रॉमा सेंटर वाराणसी ले जाया गया, जहां विनोद को डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया. इन सबको बचाने के लिए मकान मालिक का लड़का 23 वर्षीय अंकुर जायसवाल भी टैंक में उतरा था, उसकी भी जहरीली गैस से मौत हो गई है.
मुस्लिम आरक्षण Vs तुष्टिकरण को लेकर जमकर उलझे आशुतोष और संगीत रागी
देश में इस वक्त आरक्षण के नाम पर चल रही चुनावी सियासत जोरों पर हैं. मुसलमानों को आरक्षण वाले मुद्दे पर एक बार फिर बयानों की धार चढ़ाई गई. ऐसे में सवाल यही है कि क्या धर्मनिरपेक्ष देश का संविधान धर्म के आधार पर आरक्षण की इजाजत देता है? इसी मुद्दे पर आजतक पर चर्चा के दौरान आशुतोष और संगीत रागी के बीच जमकर नोकझोक हुई. देखें वीडियो.
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calcium ko raat me kyon nahi lena chahiye. रात में कैल्शियम क्यों नहीं लेना चाहिए।
कैल्शियम हड्डियों और मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के अलावा दिल को भी स्वस्थ रखता है। हालिया शोध बताते हैं कि डिनर में कैल्शियम लेने से हार्ट डिजीज का जोखिम बढ़ जाता है। वहीं सुबह के नाश्ते में कैल्शियम लेना हृदय रोग के जोखिम को कम करता है। इस बारे में विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
कैल्शियम हड्डियों और मसल्स को मजबूती देता है। हृदय, मांसपेशियों और तंत्रिकाओं को भी ठीक से काम करने के लिए कैल्शियम की आवश्यकता होती है। कुछ अध्ययनों से पता चला है कि कैल्शियम विटामिन डी के साथ मिलकर हड्डियों के स्वास्थ्य के अलावा कैंसर, मधुमेह और हाई ब्लड प्रेशर से भी बचाव कर सकता है। मगर जरूरत से ज्यादा कैल्शियम लेना और गलत तरीके से लेना आपकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। इसलिए एक्सपर्ट से जानते हैं क्या है कैल्शियम लेने (Right way to have calcium) का सही तरीका और समय।
क्या कहता है शोध (Research on calcium intake)
अधिक कैल्शियम का सेवन हार्ट हेल्थ के लिए नुकसानदायक है। हालिया अध्ययन बताते हैं कि रात के खाने में कैल्शियम का सेवन अधिक करने से हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। इसकी बजाय नाश्ते में इसका सेवन करना चाहिए।
बीएमसी पब्लिक हेल्थ (BMC) जर्नल में कैल्शियम के सेवन पर अध्ययन प्रकाशित हुआ। इसमें 2003- 2018 के बीच 36,000 से अधिक अमेरिकी एडल्ट के डाइट कैल्शियम सेवन की जांच की गई। अध्ययन में भाग लेने वाले 17456 पुरुष और 18708 महिलाएं थीं।
इसमें 4040 हृदय रोग के रोगी थे। उनके सुबह और शाम के भोजन से कैल्शियम सेवन को लगातार जांचा गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि रात के खाने में कैल्शियम के सेवन से 5% हृदय रोग का जोखिम बढ़ गया।
हृदय पर पड़ता है प्रतिकूल प्रभाव
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. निरंजन बताते हैं, ‘कैल्शियम के सेवन को नाश्ते में लेने से यह जोखिम कुल मिलाकर 6% कम हो गया। लेखकों ने माना कि रात में कैल्शियम सेवन करने से हृदय रोग का खतरा बढ़ने के जोखिम के सबूत पर्याप्त नहीं हो सकते हैं। इसके बावजूद अध्ययन इस बात पर जोर देता है कि बहुत अधिक या बहुत कम कैल्शियम का सेवन हृदय पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।’
क्या रात में नहीं खाना चाहिए कैल्शियम (calcium at night)
एक्सपर्ट बताते हैं कि कैल्शियम दोपहर या शाम को नहीं लेना चाहिए। कैल्शियम आसानी से जमा हो जाता है। इसमें जमा होने की क्षमता होती है। कैल्शियम ऑक्सालेट आसानी से बनने के कारण अन्य बीमारियों जैसे कि किडनी स्टोन, यूरीनरी ब्लैडर स्टोन, कब्ज और आमतौर पर बच्चों में सोने में परेशानी का खतरा बढ़ जाता है।
बढ़ जाती है कैल्सिफिकेशन की संभावना (Calcification in heart)
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. निरंजन बताते हैं, ‘आम तौर पर कैल्शियम की कमी वाले वयस्क को एक दिन में लगभग 1000 मिलीग्राम कैल्शियम की आवश्यकता होती है। यदि कोई व्यक्ति कैल्शियम सप्लीमेंट ले रहा है, तो इसे नाश्ते और दोपहर के भोजन के बाद दो भागों में बांट लें। इससे शरीर कैल्शियम को धीरे-धीरे अवशोषित कर सकेगा। यह अधिक प्रभावी होता है। दोपहर या शाम को कैल्शियम नहीं लेना चाहिए, खासकर रात 9 बजे के बाद। इससे कैल्सिफिकेशन की संभावना बढ़ जाती है।’
ब्लड फ्लो और ऑक्सीजन (Blood flow and oxygen supply)
कैल्शियम इस बात का संकेत देता है कि आर्टरी में कितना फैट जमा हुआ है। इस जमी हुई सामग्री में कैल्शियम होता है। हार्ट आर्टरी में प्लाक दिल के दौरे का मुख्य कारण है। यदि प्लाक का कोई टुकड़ा टूट जाता है, तो उसके चारों ओर ब्लड क्लॉट हो सकता है। इससे हृदय में ब्लड फ्लो और ऑक्सीजन की आपूर्ति अवरुद्ध हो सकती है।
सोने से पहले दूध पीएं या नहीं
ध्यान देने वाली बात यह है कि कैल्शियम मस्तिष्क को नींद लाने वाले पदार्थ मेलाटोनिन के निर्माण में मदद करता है। यह एमिनो एसिड ट्रिप्टोफैन का उपयोग करने में मदद करता है। डेयरी प्रोडक्ट में ट्रिप्टोफैन और कैल्शियम दोनों होते हैं। यह नींद लाने वाले शीर्ष खाद्य पदार्थों में से एक हैं। इसलिए सोने से पहले दूध पीने की सलाह दी जाती है।
दूध के साथ कैल्शियम सप्लीमेंट लें या नहीं (calcium supplement with milk)
दूध के साथ कैल्शियम सप्लीमेंट नहीं लेना चाहिए। इसका कारण यह है कि दूध में कैल्शियम की मात्रा और कैल्शियम की गोलियों में कैल्शियम की मात्रा अवशोषण प्रक्रिया में एक- दूसरे के गुणों पर प्रभाव डाल सकती है।
इससे कैल्शियम को अवशोषित करने में शरीर की प्रभावशीलता कम हो जाती है। कैल्शियम को नाश्ते के लगभग 1 घंटे बाद और दूध लेने के समय से काफी पहले लेना सबसे अच्छा होता है।
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दो अफसर और लालू का एक सीक्रेट प्लान… ‘राम रथ’ पर सवार आडवाणी की गिरफ्तारी की रात की कहानी
साल 1990…
अयोध्या आंदोलन तेज हो रहा था…
लालकृष्ण आडवाणी की राम रथ यात्रा जिधर से गुजर रही थी माहौल वहां गरमाता जा रहा था…
बकौल लालू-
संघ परिवार, वीएचपी और भाजपा की योजना के मुताबिक, आडवाणी ने सितंबर, 1990 में सोमनाथ से अपनी राम रथ यात्रा शुरू की. उनकी इस यात्रा के दौरान गुजरात में साम्प्रदायिक तनाव पैदा हुआ. सोमनाथ से रथयात्रा निकलते ही उत्तर प्रदेश और बिहार समेत कई राज्यों में साम्प्रदायिक तनाव फैल गया. अक्टूबर में उनकी रथयात्रा ने मध्य प्रदेश से होकर बिहार के धनबाद (अब झारखंड में) प्रवेश किया, मैंने आडवाणी को गिरफ्तार करने की मंजूरी लेने के लिए प्रधानमंत्री वी. पी. सिंह को फोन किया. लेकिन दोनों ही मौकों पर प्रधानमंत्री खामोश रहे.
शायद वह असमंजस में थे, क्योंकि उनकी सरकार का अस्तित्व भाजपा के समर्थन पर निर्भर था. उसके बाद मैंने धनबाद के डीसी और एसपी को फोन करके आडवाणी को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया. लेकिन दोनों पुलिस अधिकारियों ने यह कहते हुए गिरफ्तारी से इनकार कर दिया कि इससे साम्प्रदायिक तनाव फैल जाएगा. मेरे पास अब कोई उपाय नहीं बचा था इसलिए मैंने उन्हें गिरफ्तार करने की एक योजना बनाई. 9 अक्टूबर को उनकी रथयात्रा समस्तीपुर पहुंचने वाली थी और उसके अगले दिन अयोध्या के लिए प्रस्थान करने वाली थी.
(फोटो क्रेडिटः इंडिया टुडे आर्काइव)
सच कहूं तो किसी ने मुझे इस यात्रा को रोकने या आडवाणी को गिरफ्तार करने के लिए नहीं कहा था. प्रधानमंत्री ने कुछ नहीं कहा. मुफ्ती मोहम्मद सईद ने जो तब केंद्रीय गृह मंत्री थे, मुझे दिल्ली बुलाकर जानकारी ली कि क्या मैंने आडवाणी को रोकने की योजना बनाई है. जब मैंने इस बारे में साफ-साफ कुछ नहीं कहा तो वे कहने लगे- ‘आप इसे अपने ऊपर क्यों लेना चाहते हैं? यात्रा को जारी रहने दीजिए.’
मैंने बेहद सख्त लहजे में उनसे कहा- ‘आप सबको सत्ता का नशा चढ़ गया है.’ हालांकि, इसी समय प्रधानमंत्री आवास पर व्यस्तताएं बढ़ गई थीं. वी. पी. सिंह ने अनेक हिंदू धर्मगुरुओं की अपने यहां बैठक बुलाई और इन लोगों ने उन्हें यही कहा कि यात्रा नहीं रोकी जानी चाहिए. समझौते से संबंधित कई फॉर्मूले भी सामने आए, लेकिन इनमें से किसी पर भी सहमति नहीं बनी. उस बैठक में कोई समाधान नहीं निकला.
मेरे दिमाग में यह बात साफ थी कि आडवाणी की यात्रा अल्पसंख्यक समुदाय और साम्प्रयादिक भाईचारे के लिए सीधा और वास्तविक खतरा थी. सख्त कदम उठाने के बारे में सोच लेने के बाद मैंने राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बेडरूम में ही एक बैठक की. मैंने उन सबसे कहा कि यात्रा रोकनी होगी और आडवाणी और अशोक सिंघल जैसे नेताओं को गिरफ्तार करना पड़ेगा. मेरा इतना कहना था कि कमरे में चुप्पी छा गई. शायद वे भगवान के नाम पर चलने वाली यात्रा के रास्ते में बाधाएं खड़ी करने की बात सुनते ही असहज हो गए थे.
(फोटो क्रेडिटः इंडिया टुडे आर्काइव)
हमारी शुरुआती योजना ये थी कि आडवाणी को सासाराम में गिरफ्तार किया जाए. वरिष्ठ भाजपा नेता को रोकने और ले आने के लिए एक हेलिकॉप्टर वहां भेजा गया. मैंने पायलट को इस बारे में बता दिया. बेडरूम की बैठक में जितने भी अधिकारी थे मैंने योजना के बारे में उन्हें पूरी गोपनीयता बरतने को कहा. इसके बावजूद सूचना लीक हो गई और आडवाणी ने अपना रूट बदल लिया. इसके बाद आडवाणी को धनबाद में रोकने की योजना बनी. लेकिन वहां प्रशासनिक अधिकारियों ने इनकार कर दिया. उनको लगता था कि इससे कानून-व्यवस्था की समस्या खड़ी हो जाएगी.
ऐसे में प्लान ‘बी’ तैयार करना जरूरी था. मैंने एक आईएएस अधिकारी आर. के. सिंह (जो अब आरा से भाजपा के सांसद और केंद्रीय मंत्री हैं) और डीआईजी रैंक के अधिकारी रामेश्वर ओरांव को 1 अणे मार्ग स्थित अपने आवास पर बुलाया तथा उनसे इस बारे में बात की. उसके बाद मैंने राज्य के मुख्य सचिव, गृह सचिव और दूसरे वरिष्ठ अधिकारियों के नाम रात नौ बजे एक विशेष आदेश तैयार किया, जिसमें आर. के. सिंह और ओरांव को समस्तीपुर में आडवाणी को गिरफ्तार करने का अधिकार दिया गया.
(फोटो क्रेडिटः इंडिया टुडे आर्काइव)
विशेष आदेश पर हस्ताक्षर करने के बाद मैंने मुख्य सचिव, गृह सचिव और दूसरे अधिकारियों को मेरे आवास पर रहने के लिए बुलाया और यह सुनिश्चित किया कि उन्हें टेलीफोन की सुविधा न मिले. मैं दूसरी बार अपनी योजना को लीक होने देने के लिए तैयार नहीं था. मैंने आर के सिंह और ओरांव को सीआरपीएफ से एस्कॉर्ट्स लेकर समस्तीपुर के लिए रवाना होने का निर्देश दिया और कहा कि वे 10 अक्टूबर की भोर को ही आडवाणी को वहां गिरफ्तार कर लें. मैंने यह सुनिश्चित किया कि समस्तीपुर के डीएम और एसपी तक को इस बारे में कुछ मालूम नहीं होना चाहिए. मैंने सरकारी पायलट कैप्टन अविनाश को हेलीकॉप्टर समस्तीपुर ले जाने के लिए कहा. सुबह-सुबह आडवाणी को गिरफ्तार करने के पीछे उद्देश्य यह था कि काफी देर तक लोगों को इस बारे में पता नहीं चलेगा और इस बीच उन्हें वहां से दूर ले जाया जा सकेगा.
(फोटो क्रेडिटः इंडिया टुडे आर्काइव)
इतनी गोपनीयता के बावजूद आरएसएस-भाजपा के कुछ लोगों को इसका अनुमान लग गया था कि मैं आडवाणी को गिरफ्तार कर सकता हूं. 9 अक्टूबर की शाम को उन्होंने मुझसे मुलाकात की और पूछा, ‘क्या आडवाणी को गिरफ्तार करने की आपकी कोई योजना है?’, मैंने जानबूझकर चौंकते हुए कहा- ‘हम पागल हैं क्या? हम आडवाणी जी को क्यों गिरफ्तार करेंगे?’ वे लौट गए, शराब पी और सो गए. मैं पूरी रात नहीं सो पाया. मैंने समस्तीपुर के सरकारी गेस्ट हाउस के लैंडलाइन पर फोन किया. तब भोर के चार बज रहे थे. एक रसोइए ने फोन उठाया. मैंने उसे अपनी पहचान छिपाते हुए कहा- मैं आज अखबार का रिपोर्टर बोल रहा हूं. आडवाणी जी क्या कर रहे हैं? उसने कहा- वह सो रहे हैं? मैंने फिर पूछा- ‘वह अकेले हैं या उनके साथ और भी लोग हैं.’ उसने कहा- वह अपने कमरे में अकेले हैं. मैंने उससे कहा कि आडवाणी जी को चाय दीजिए. उसके कुछ मिनट बाद रामेश्वर ओरांव और आर. के. सिंह ने मुझे सूचना दी कि काम हो गया है.
सुबह जब मैं अपने लॉन में बेहद चिंतित होकर इधर-उधर टहल रहा था, तभी मैंने एक हेलीकॉप्टर उड़ते देखा. मुझे लगा कि हमारी योजना फेल हो गई है, क्योंकि हेलीकॉप्टर जिस दिशा से आ रहा था वह समस्तीपुर नहीं लग रहा था. मैंने पायलट से संपर्क किया और पूछा- क्यों अविनाश बाबू, क्या हुआ? उसने कहा कि ईंधन भरने के कारण उसे चक्कर लगाना पड़ा.
(फोटो क्रेडिटः इंडिया टुडे आर्काइव)
आडवाणी को गिरफ्तार करने के बाद आर. के. सिंह और रामेश्वर ओरांव ने उन्हें हेलीकॉप्टर में बिठाया. मेरी योजना आडवाणी को बिहार-बंगाल सीमा के पास दुमका (अब झारखंड में) जिले के मसानजोर के गेस्ट हाउस में नजरबंद रखने की थी. गिरफ्तारी से एक दिन पहले मैंने दुमका के डिप्टी कमिश्नर सुधीर कुमार को फोन करके निर्देश दिया था वह गेस्ट हाउस को चाक चौबंद रखें, क्योंकि अगले दिन मैं विजिट के लिए आ सकता हूं. मैंने उन्हें आडवाणी की गिरफ्तारी की योजना के बारे में नहीं बताया था. जब आडवाणी को गेस्ट हाउस में ले जाया गया ठीक तभी मैंने सुधीर को दोबारा फोन करके गेस्ट हाउस के गेट पर सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था रखने के लिए कहा. चूंकि गिरफ्तारी भोर में हुई थी और सुऱक्षा के पुख्ता इंतजाम थे तो न मीडिया के पास और न किसी समर्थक के पास आडवाणी की गिरफ्तारी की कोई तस्वीर थी. आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद मैंने सभी जिलों के डीएम और एसपी को कानून-व्यवस्था पर अलर्ट किया और कहा कि कहीं भी जमावड़ा न होने दें. मुस्तैदी के कारण बिहार में कोई असर नहीं हुआ.
उनकी गिरफ्तारी के कुछ ही घंटों के बाद मेरे पास मुफ्ती मोहम्मद सईद का फोन आया. उन्होंने राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के बने रहने के हक में मुझसे आडवाणी को रिहा करने का अनुरोध किया. मैंने उनको कहा कि आपको सत्ता का नशा चढ़ गया है. यह कहकर मैंने फोन रख दिया.
गिरफ्तारी के दो दिन बाद मैंने आडवाणी को फोन किया और कहा, ‘मैंने आपको गिरफ्तार किया है. लेकिन गेस्ट हाउस हरियाली से घिरा है, और आसपास हरे-भरे पेड़ और पहाड़ हैं. गेस्ट हाउस के आसपास टहलते हुए आपको आनंद आएगा. अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखिए और अगर कुछ परेशानी हो, तो मुझे फोन कीजिएगा.’
-लालू प्रसाद यादव की आत्मकथा गोपालगंज से रायसीना का एक हिस्सा.
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अंजना ओम कश्यप के साथ हेलिकॉप्टर में आप भी कर सकते हैं चुनावी यात्रा, जानें कैसे
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राजतिलकः ‘आजतक’ के हेलिकॉप्टर में अंजना ओम कश्यप के साथ आप भी कर सकते हैं चुनावी यात्रा – aaj tak show rajtilak anjana om kashyap helicopter shot lok sabha election 2024
देश के नंबर वन हिंदी न्यूज चैनल ‘आजतक’ का खास चुनावी शो ‘राजतिलक’ इस चुनावी समर में नए अंदाज में आया है. 14 अप्रैल से 9 मई तक चलने वाले इस शो में हेलीकॉप्टर शॉट के जरिए चुनावी कवरेज की जा रही है. ‘आजतक’ की एंकर अंजना ओम कश्यप हेलिकॉप्टर पर सवार होकर अलग-अलग जिलों में जाकर जनता की नब्ज समझ रही हैं. अपनी यात्रा में अंजना देश के करीब 100 शहरों को कवर करेंगी.
लेकिन अब ‘आजतक’ के इस खास शो में शामिल होने और हेलिकॉप्टर से चुनावी दौरा करने का मौका आपको भी मिल सकता है. राजतिलक की इस विशेष कवरेज के हर एपिसोड के अंत में एक लकी नंबर बताया जाता है. आपको 14 अप्रैल से 9 मई तक के सभी लकी नंबर अपने पास रखने हैं. ये नंबर हमें भेजने के लिए मोबाइल से वॉट्सपर पर 8657900895 नंबर पर HI लिखें. जो भी दर्शक ये सभी लकी नंबर क्रम से सही बताएंगे, उनमें से पांच लकी विनर चुने जाएंगे जिन्हें मिलेगा अंजना ओम कश्यप के साथ हेलिकॉप्टर से चुनावी दौरा करने का मौका.
यहां देखें ‘राजतिलक’ की फुल कवरेज
उत्तराखंड से शुरू हुई थी उड़ान
‘आजतक’ के हेलिकॉप्टर ने 14 अप्रैल 2024 को उत्तराखंड से अपनी ऊंची उड़ान शुरू की थी और टिहरी, ऋषिकेश और देहरादून का दौरा किया था. अपनी यात्रा के पहले सप्ताह में ‘राजतिलक’ सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मेरठ, बुलंदशहर, अलीगढ़, आगरा, मथुरा, जयपुर, अजमेर, सवाई-माधोपुर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, साबरकांठा, आनंद, अहमदाबाद, के साथ ही सूरत, नासिक, पालघर और मुंबई से होकर गुजरा.
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‘आजतक’ के इस शो का मकसद देश के सुदूरतम हिस्सों में पहुंचकर हर एक वोट का महत्व और लोकतंत्र की ताकत को समझाना है. इस शो के जरिए आप अच्छे से समझ पाएंगे कि भारतीय मतदाताओं के सपने और आकांक्षाएं क्या हैं.
यह शो उन पहले से तय मानकों के हिसाब से नहीं है जिनमें चुनाव विशेषज्ञों का विश्लेषण या पहले से जुटाया गया डेटा होता है. ‘आजतक’ इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि जनता की सच्ची राय और दृष्टिकोण दिखाया जाए.
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West Bengal Madhyamik 10th Result 2024: WBBSE 10th Result, Check and Download WB Madhyamik Board 10th Result 2024
पश्चिम बंगाल बोर्ड 10वीं परिणाम 2024 (पश्चिम बंगाल माध्यमिक 10वीं परिणाम 2024)
पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (WBBSE) के 10वीं परीक्षा का रिजल्ट आप यहां देख सकते हैं. जिन स्टूडेंट्स ने इस वर्ष WBBSE की 10वीं की परीक्षा दी है, वे आज तक की वेबसाइट पर अपना रिजल्ट देख सकते हैं.
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